देवाल बिलोक वांण की रहने वाली है भागरथी

हरेंद्र बिष्ट।
ग्वालदम । चमोली जिले के अंतिम गांवों में सुमार एवं श्री नंदादेवी राजजात यात्रा के अंतिम आवादी वाला गांव वांण की भागीरथी के भगीरथ प्रयासों से इस क्षेत्र का नाम ही नही पूरे राज्य का ट्रेल मैराथन दौड़ में सर गर्व से ऊंचा हुआ हैं। विगत दिनों जम्मू-कश्मीर में 7 से से 9 हजार फीट की ऊंचाई पर जवाहर लाल नेहरू माउंटेरिग इंस्टिट्यूट विंटर स्कूल एवं कश्मीर टूरिस्ट के द्वारा आयोजित 11 किलोमीटर लंबी दौड़ में हिस्सेदारी करते हुए इस दौड़ को 22 वर्षों भागीरथी ने रिकॉर्ड 1 घंटा 12 मिनट में पूरी कर इस ट्रेल दौड़ को अपने नाम कर लिया।इस दौड़ में प्रथम स्थान मिलने पर भागीरथी को पदक के साथ 15 हजार की नकद धनराशि पुरूस्कार के रूप में प्रदान की गई। तमाम सुविधाएं से अभावग्रस्त गांव वांण में जन्मी पली बढ़ी भागीरथी के संघर्षों की शुरुआत जन्म से तीन साल बाद से ही शुरू हो गई थी।जब वह मात्र तीन वर्ष की थी तों उसके पिता मोहन सिंह भागीरथी सहित तीन बहिनों,दो भाईयों एवं मां राधा देवी को रोता बिलखता छोड़ कर इस दुनिया से विदा हो गए। इसके बाद तमाम सुविधाएं के अभाव के बावजूद उसने अपना जीवन संघर्ष शुरू किया। और घर पर खेती-बाड़ी करने, अपनी पढ़ाई को जारी रखने के साथ ही अपने एथलीट के मुकाम को पाने के प्रयास में जुटी रही 1 से 5 तक राजकीय प्राथमिक विद्यालय एवं 6 से 12 तक राइका वांण में पढ़ते हुए उसने हमें स्कूल, कालेज की ओर से बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी की और कई सफलताएं हासिल की। इंटर की पढ़ाई के दौरान ही अंतरराष्ट्रीय एथलीट सुनील शर्मा हिमाचल प्रदेश के निवासी हैं और उन्हे सिरमौरी चीता के नाम से अधिक जाना जाता है वें जब 2020 में उत्तराखंड में खेलों के प्रति विशेष तौर पर दौड़ों के प्रति रूचि रखने वाले युवक, युवतियों को पहचानने के उद्देश्य के तहत वांण गांव पहुंचे तो उनकी भेट भागीरथी से हुई, उन्होंने उसकी काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए कठिन एवं आम तौर पर चार से पांच दिनों में पूरे किए जाने वाले रहस्यमयी रूपकुंड ट्रक पर भागीरथी सहित गांव के अन्य युवक, युवतियों के साथ वांण से रूपकुंड एवं वहां से वापस वांण की एक दौड़ की जिसमें शर्मा स्वयंम भी दौड़े कर में भागीरथी ने बिना रूके 36 घंटों में इस दौड़ को पूरा किया। भागीरथी के विषम परस्थितियों में भी आत्मविश्वास के साथ संघर्ष करने की क्षमताओं को जानने के बाद शर्मा ने उसके परिजनों की सहमती के बाद उसे अपने साथ हिमाचल ले गए हैं। वहां पर भागीरथी को बड़े मैराथन दौड़ों एशियाड, ओलंपिक आदि में हिस्सेदारी करवाने की तैयारीयां करवा रहे हैं। इसके साथ ही भागीरथी नाहन (धर्मशाला) में ग्रेजुएशन भी कर रही है। दौड़ों की तैयारियों के तहत ही सिरमौरी चीता भागीरथी को उच्च हिमालई क्षेत्रों में होने वाली दौड़ों में उसे लगातार प्रतिभाग करवा रहे हैं। इसके तहत ही भागीरथी ने ट्रेल दौड़ को अपने नाम करने में सफलता अर्जित की हैं। भागीरथी के भगीरथ प्रयासों से मिली सफलता एवं राज्य का नाम रोशन करने पर थराली के विधायक भूपाल राम टम्टा, हाट कल्याणी वार्ड से जिला पंचायत सदस्य कृष्णा बिष्ट,सवाड वार्ड की आशा धपोला, भाजपा मंडल अध्यक्ष उमेश मिश्रा, महामंत्री युवराज सिंह बसेड़ा, आनंद बिष्ट, पूर्व प्रमुख उर्मिला बिष्ट, रूपकुंड पर्यटन विकास संघर्ष समिति के अध्यक्ष इंद्र सिंह राणा आदि ने रेसलर भागीरथी की जमकर सराहा करते हुए आशा जताई कि आने वाले समय में वह अपनी कड़ी मेहनत के बलबूते देश को पदक दिलाने में सफल होगी।

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