Joshimath disaster– जोशीमठ आपदा प्रभावित क्षेत्र में भूधंसाव जनवरी माह से बढ़ गया था। आपदा से 868 मकान आपदा की जद में आ गए थे जिसमें से 181 भवन डेंजर जोन में थे। नगर को आपदा से बचाने के लिए पानी निकासी को नालियों के निर्माण सीवर ट्रीटमेंट योजना के साथ नालों की मरम्मत की कार्ययोजना धरातल पर नहीं उतरी है।

 आपदा प्रभावित जोशीमठ में भूधंसाव थमने का नाम नहीं ले रहा है। मानसून के दौरान नगर क्षेत्र में 20 से अधिक मकानों में दरारें व भूधंसाव से भवन स्वामियों को राहत कैंपों में रखा गया है। हालांकि, मानसून के दौरान आपदा प्रभावित क्षेत्र में बड़े भूधंसाव जैसी घटना सामने नहीं आई।

जोशीमठ आपदा प्रभावित क्षेत्र में भूधंसाव जनवरी माह से बढ़ गया था। आपदा से 868 मकान आपदा की जद में आ गए थे, जिसमें से 181 भवन डेंजर जोन में थे। अब तक 156 प्रभावितों को 3350 लाख की धनराशि वन टाइम सेटलमेंट के तहत राहत पैकेज दिया जा चुका है।

जमीन के अंदर पानी की आवाज

मानसून में आपदा प्रभावित जोशीमठ के नगरवासी परेशान थे। इस मानसून में मनोहर बाग से पांच व सुनील औली में भूधंसाव हुआ था, जिससे 20 परिवारों को राहत शिविर में भेजा गया था। सुनील व मनोहरबाग में जमीन के अंदर पानी की आवाज सुनाई दे रही है, जिससे लोग दहशत में हैं।

जोशीमठ में आपदा प्रभावितों की समस्या जस की तस हैं। नगर को आपदा से बचाने के लिए पानी निकासी को नालियों के निर्माण, सीवर ट्रीटमेंट योजना के साथ नालों की मरम्मत की कार्ययोजना धरातल पर नहीं उतरी है।

व्यवसाय पर आपदा का साया

यात्रा के प्रमुख पड़ाव जोशीमठ का धार्मिक व पर्यटन के लिए विशेष महत्व है, लेकिन यहां के पर्यटन व्यवसायी अभी भी आपदा से नहीं उभरे हैं। यहां होटल व्यवसाय पर आपदा का साया बना हुआ है।

प्रशासन ने 12 किमी दूर जोशीमठ से मलारी हाईवे पर ढाक गांव में बनाए गए प्रीफैब्रिकेटेड हटों में भी आपदा प्रभावित नहीं गए हैं, उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं होने व नगर से दूर जाने के लिए कोई भी प्रभावित दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।

 

 

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