अमर हिंदुस्तान
देहरादून |समाज सेवा के पवित्र उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समाज का संगठित होना नितांत आवश्यक है, तभी एक सुसंस्कृत और आदर्श समाज की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। समाज सेवा का कार्य अपरिमित है और इसके लिए सक्षम लोगों को आगे आकर काम करना होगा। यह बात आईआईटी कानपुर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र प्रसाद नवानी ने देवभूमि उपासक, समाजसेवी पंडित दीनदयाल नवानी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित पुस्तक के लोकार्पण के मौके पर कही। यह पुस्तक स्व. दीनदयाल नवानी के पुत्र पूर्व प्रधानाचार्य प्रवेश चंद्र नवानी ने लिखी है और हिमालयी सरोकारों के लिए समर्पित विनसर प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। ग्रामीण विकास नागरिक विचार मंच कोटद्वार तथा विनसर पब्लिशिंग कं. ने समारोह का आयोजन रविवार को आईएसबीटी के निकट स्थित शिक्षांकुर द ग्लोबल स्कूल के सभागार में संयुक्त रूप से किया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद नवानी ने स्व. दीनदयाल नवानी का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि जिस तरह उन्होंने प्रवासियों को संगठित कर समाज सेवा का अद्भुत कार्य किया, वह हमारे लिए प्रेरणास्रोत है और नवानी भ्रातृत्व सम्मेलन द्वारा समाज सेवा और उत्तराखंड के विकास के लिए यथासंभव कार्य किए जायेंगे और सही मायने में यह स्व. दीनदयाल नवानी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम के प्रारंभ में पूर्व प्रधानाचार्य शिव प्रसाद कुकरेती ने स्व. दीनदयाल नवानी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा क्वेटा तथा स्वतंत्रता के बाद सहारनपुर तथा देश के अन्य भागों में प्रवासी पहाड़ियों को संगठित कर समाज सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया था। सेवानिवृत्ति के बाद बारह साल तक निर्विरोध ग्राम प्रधान रह कर क्षेत्र के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया, उससे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। ग्रामीण विकास नागरिक मंच के अध्यक्ष और कार्यक्रम के आयोजक प्रवेश चंद्र नवानी ने उनके संगठन द्वारा किए जा रहे लोककल्याण के कार्यों का ब्योरा रखा गया। प्रसार भारती के पूर्व निदेशक चक्रधर कंडवाल ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए विनसर प्रकाशन के संचालक कीर्ति नवानी द्वारा किए जा रहे कार्यों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि विनसर प्रकाशन ने उत्तराखंड की संस्कृति, इतिहास, भूगोल, कला साहित्य पर जितना काम किया गया है, वह बेमिसाल है।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. जयंत नवानी ने नवानी वंश की जीवन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हमारे पूर्वज महाकाल की नगरी के मांडू नामक स्थान से गढ़वाल के पहले प्रतापी राजा कनक पाल के साथ आए थे। पहले चांदपुर गढ़ के पास रहने के बाद गढ़वाल के विभिन्न गांवों में बसे। गंवाडी गांव इनमें सबसे प्रमुख है। विशिष्ट अतिथि डॉ. कमल नवानी ने समाज को संगठित करने के प्रयास की प्रशंसा की। विशिष्ट अतिथि और शिक्षांकुर स्कूल के संचालक आचार्य सच्चिदानंद जोशी ने इस विशेष आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी।कार्यक्रम का संचालन गणेश खुगसाल “गणी” और डॉ. इंदु भारती नवानी ने संयुक्त रूप से किया। विनसर प्रकाशन के कीर्ति नवानी ने सभी आगंतुकों का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के दूसरे चरण में नवानी भ्रातृत्व सम्मेलन भी संपन्न हुआ। सम्मेलन में नवानी भ्रातृत्व सम्मेलन के संरक्षक डॉ. राजेंद्र प्रसाद नवानी, डॉ. जयंत नवानी, प्रवेश चंद्र नवानी और उषाधर नवानी बनाए गए जबकि सतीश चंद्र नवानी को अध्यक्ष, डॉ. जे.पी. को उपाध्यक्ष, पंकज नवानी सचिव, अनूप नवानी कोषाध्यक्ष और सोहन नवानी सचिव बनाए गए।