अमर हिन्दुस्तान

श्रीनगर गढ़वाल। किसानों काश्तकारों के हित में महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री एकनाथ शिंदे की तर्ज पर यदि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री व अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री अनुकरण करेंगें तो ग्लोबल वार्मिंग,पलायन नहीं होगा,खासकर उत्तराखण्ड से जो किसान काश्तकार अपने जल,जमीनों को छोड़कर पलायन कर चुके है वो वापस पुनःलौट आयेगे,क्योंकि उनको जीवन यापन करने के लिये नई प्रकार की खेती करके कृषि लागत का मूल्य मिल जायेगा उस खेती को जंगली जानवर बन्दर,लंगूर भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे। आपको बता दे कि 11 जून को कृषि लागत मूल्य आयोग के अध्यक्ष डॉ.विजयपाल शर्मा को अध्यक्षता में 6 राज्यों की मुम्बई में एक बैठक सम्पन्न हुई थी,और इस बैठक का आयोजन बैम्बूमेन आफ इंडिया के नाम से मशहूर किसान नेता पाशा पटेल द्वारा किया गया था। पाशा पटेल वर्तमान में महाराष्ट्र के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष भी है। इस सराहनीय कार्य हेतु पाशा पटेल के आग्रह पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने उस बैठक में भागीदारी कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया गया,किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की ओर से देश के सभी मुख्यमंत्रीयों से इस प्रकार की बैठकों में भाग लेकर कृषि उपजों के मूल्य निर्धारण में अपनी भूमिका निभाने का आग्रह किया गया। उल्लेखनीय है कि इस प्रकार की बैठको के इतिहास में पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भाग लिया,इसी प्रकार उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को भी ऐसी बैठको में एक भागीदारी करनी चाहिये जिससे किसानों का मनोबल बढ़ता है,और नई खेती की टैक्नैलॉजी मिलती है। सामान्यतः ऐसी बैठको में मुख्यमंत्री नही जाते हैं। और वो अपने-अपने राज्यों की और से प्रतिनिधि के तौर पर सचिव स्तर के अधिकारियों को भेज देते है और वह अधिकारी अपने सहायकों को भेज देते हैं। जिस कारण किसानों की समस्याओं का सामाधान नहीं हो पाता। किसानों को समुचित मूल्य का निर्धारण नहीं कर पाते,यदि खुद मुख्यमत्री ऐसी किसान पंचायतों में शिरकत करेंगें तो किसान कभी भी सरकारों के खिलाफ आन्दोलन नहीं करेंगे। क्योंकि उनको अपनी समस्या का समाधान उसी पंचायत में मिल जायेगा। किसान मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राष्ट्रीय प्रवक्ता भोपाल सिंह चौधरी ने कहा कि उत्तराखण्ड में बांस (बैम्बो) की बहुत अच्छी खेती कर पैदावर की जा सकती है। सरकार बांस की खेती के लिये किसानों को अच्छी सब्सिडी भी दे रही है। और किसानों काश्तकारों द्वारा,लगाये गये बासों को खरीदती भी है। बांस लगाने से पर्यावरण स्वच्छ रहता है। बन्दर,लंगूर आदि जानवरो से भी बांस की खेती को खतरा नहीं रहता। हमारा उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं पाशा पटेल की तर्ज पर किसान पंचायतों की बैठको में खुद जाकर निर्णय लेने की कृपा करेंग।

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